बहुत भाग्यशाली वह है जिसने प्रशंसा करना सीखा है , लेकिन ईर्ष्या से नहीं | दुसरो से ईर्ष्या करने से न तो उनके अच्छे भाग्य कम होते है, और न ही अपना स्वयं का बढ़ता है | Bk Shivani