जख्मों

जख्मों

कोई मुझे बुलाता रहा और,
मैं रोती रही दिल के जख्मों को,
रो-रो कर आंसुओं से धोती रही।

आंखें

आंखें

आंखों से आंखें मिलते हैं,
दो से चार बनकर हम आप से,
मिलेंगे गले का हार बनकर |

लेकिन

लेकिन

एक पिता जब अपने पुत्र को कुछ देता है,
तो दोनों हँसते हैं , लेकिन जब एक पुत्र ,
अपने पिता को कुछ देता है तो दोनों रोते हैं |

William Shakespeare

सुगंध

सुगंध

नाम में कुछ नहीं रखा , यदि आप गुलाब के,
फूल को किसी और नाम से पुकारेंगे तो ,
वो वैसी ही सुगंध देगा जैसी उसकी सुगंध हैं |

William Shakespeare

कश्ती

कश्ती

बारिश की बूंदो से बना हुआ ,
छोटा सा समुंदर ,
लहरों से भीगती छोटी सी बस्ती,
चलो ढूंढे बरसात में दोस्ती की कुछ यादें,
हाथ में लेकर एक कागज़ की कश्ती |

बारिश

बारिश

ये बारिश आज मुझसे कुछ कह गयी,
आज फिर हमारी बाहों में,
उनकी कमी रह गयी,
एक पल के लिए उसे छुआ मैंने,
और आज फिर उसकी ,
याद बरसात में पानी की तरह बह गयी |


शकून

शकून

अपनी हार पर इतना,
शकून था मुझे, 
जब उसने गले लगाया,
जीतने के बाद।

तक़दीर

तक़दीर

मेरे इरादे मेरी तक़दीर बदलने,
को काफी हैं, 
मेरी किस्मत मेरी लकीरों की,
मोहताज़ नहीं।

शकून

शकून

अपनी हार पर इतना,
शकून था मुझे, 
जब उसने गले लगाया,
जीतने के बाद।

आवाज़

आवाज़

मेरी आवाज़ ही परदा है,
मेरे चेहरे का, 
मैं हूँ ख़ामोश जहाँ मुझको,
वहाँ से सुनिए।

तलाशते

तलाशते

किसी को तलाशते तलाशते,
खुद को खो देना,
आंसा है क्या आशिक हो जाना।

ख्वाइश

ख्वाइश

मर जाने की ख्वाइश को मैं कुछ इस,
कदर मारा करता हूँ,
दिल के जहर को मैं कागज पर,
उतरा करता हूँ।