Soch

Soch

"सोच"
दुखी होना वो भी एक सोच से होता है ,
सुखी होना वो भी एक सोच से होता है |
तो सोच ही दुःख है ,
सोच ही सुख है ,
सोच ही मन के घाव है ,सोच ही मलहम है |

आनंद

आनंद

हम मंदिर जाए। .........गुरुद्वारे जाए। ........
हम सब को प्रसाद मिलता है। ....
यह नहीं देखा जाता की हम कोन है। .....
कहा से आये है। .......
धर्म क्या है ,जाति क्या है। ....
हमने क्या सही किया। ....क्या गलत। .....
सब को एक जितना प्रसाद मिलता है। .......
यह हमे जीवन जीने का तरीका सिखाता है। ....
हम सब को प्यार ,शांति ,सुख ,और आनंद देता है |

Bk Shivani