अफसोस

अफसोस

ज़माना दुश्मन होता तो टकरा जाता |
मगर अफसोस तुमने भी ,
कोई इशारा ना किया |

अफसोस

अफसोस

मैं और भी सितम सह सकता था |
मगर अफसोस तुमने ही कह दिया ,
मुझे भूल जा |

अफसोस

अफसोस

मुझे इसका गम नहीं की उसने फेर ली आंखे |
अफसोस ये है की उसने भी ,
मुजरिम समझा लिया |

अफसोस

अफसोस

तुमने तो प्यार की हर रस्म निभा दी |
पर अफसोस उसने मेरी हस्ती ही मिटा दी |