खातिर

खातिर

पानी की जगह गम के,
आंसू पीता हूं। 
तेरे प्यार की खातिर बाप के,
डंडे खाता हूं।

 रिश्तों की चमक

रिश्तों की चमक

कुछ रिश्तों की चमक नहीं जाती, 
कुछ यादों की कसक नहीं जाती, 
कुछ दोस्तों से होता है ऐसा रिश्ता, 
के दूर रह कर भी उनकी
महक नहीं जाती ।