धुआँ आकाश से शेखी बघारता है, और राख धरती से कि वह, अग्नि वंश के है। Rabindranath Tagore
आकाश में एक अकेले ऊँचे, शिखर की तरह रहो, तुम्हे किसी का हो चीजें, किसी की होती हैं | OSHO
बादल चाँद को छुपा सकता है आकाश को नही……. हम सबको भुला सकते है आप को नही…