जैन एकमात्र धर्म है, जो एकाएक आत्मज्ञान, सीखता है, इसका कहना है कि, आत्मज्ञान में समय नहीं, लगता ये बस कुछ ही, क्षणों में हो सकता है | OSHO
आत्मज्ञान एक समझ है, कि यही सबकुछ है, यही बिलकुल सही है, बस यही है आत्मज्ञान, कोई उप्लाब्धि नही है, यह ये जानना है, कि ना कुछ पाना है, और ना कहीं जाना है | OSHO
अंततः, वास्तविक अर्थों में शिक्षा , सत्य की खोज है। यह ज्ञान और आत्मज्ञान से , होकर गुजरने वाली एक अंतहीन यात्रा हैं। A . P . J . Abdul Kalam