अल्लाह से पूछा गया इंसान कब बुरा बनता है, अल्लाह ने फरमाया – जब वो अपने आप को दूसरों से अच्छा समझने लगे|
व्यवहार घर का शुभ कलश है, और इंसानियत घर की तिजोरी, मधुर वाणी घर की दौलत है, और शांति घर की महालक्ष्मी |
इंसान अपना वह चेहरा तो खूब सजाता है , जिस पर लोगो की नज़र होती है , मगर आत्मा को सजाने की कोशिश कोई नहीं करता ,जिस पर परमात्मा की नज़र होती है | Bk Shivani
इंसान मायूस इसलिए होता है, क्योंकि वह परमात्मा को राज़ी करने की बज़ाए लोगो को राज़ी करने में लगा रहता है, वह भूल जाता है की रब राज़ी तो सब राज़ी | Bk Shivani
इंसान कर्म करने में मनमानी कर सकता है , लेकिन फल भोगने में नहीं |
ऐसे इंसान पर कभी भी जुल्म मत करना जिसके पास पुकारने के लिए परमात्मा के अलावा और कोई ना हो |
जो इंसान औरो के चेहरे की मुस्कान देखकर खुश होता है , ईश्वर उसके चेहरे की मुस्कान कभी फीकी नहीं पड़ने देता | Bk Shivani
हम इंसानो के जिस्म का सबसे खूबसूरत हिस्सा हमारा दिल है ,और अगर वो ही साफ़ ना हो तो चमकता चेहरा किसी काम का नहीं है | Bk Shivani
अगर आपके मन में संतोष है तो आप सबसे अमीर है | आप यदि शांत है ,तो आप सबसे सुखी है | और यदि आप में दया है तो आप बहुत अच्छे इंसान है | Bk Shivani
ज़िंदगी मैं ऊँचा उठने के लिए, किसी डिग्री की जरूरत नहीं, अच्छे शब्द ही इंसान को बादशाह बना देते है | Bk Shivani
जो इंसान तोलकर नहीं बोलता , उसे सख्त बातें सुननी पड़ती है। Sekh Saadi
हर बच्चा इस संदेश को लेकर आता है, कि भगवान अभी इंसान से, निराश नहीं हुआ है। Rabindranath Tagore
दुनिया का सबसे अमीर, इंसान भी माँ बाप के बिना, गरीब होता है |
हर इंसान के ज़िन्दगी में वह सबसे ख़ास होती है, दूर होते हुए भी वह दिल के पास होती है, जिसके सामने मौत भी अपना सर झुका दे, वह और कोई नहीं बस माँ होती है |
ना जियो धर्म के नाम पर, नाम मरो धर्म के नाम पर, इंसानियत ही है, धर्म वतन का, बस जिओ वतन के नाम पर |
किसी के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर देना इतना मुश्किल नहीं है… लेकिन उस इंसान को खोज पाना मुश्किल है जो आपकी कुर्बानी का सम्मान करे। BK SHIVANI
हर इंसान साथ छोड़ देता है वक़्त के साथ लेकिन एक दोस्त ही होते है जो हर हाल में साथ देते है |
एक इंसान उस, पूर्ण का एक भाग है, जिसे हम ब्रहमांड कहते हैं | Albert Einstein
स्वतंत्रता हर इंसान का कभी न , ख़त्म होने वाला , जन्म सिद्ध अधिकार है। Bhagat Singh
मैं एक इंसान हूँ। वो हर बात मुझे प्रभावित करती है , जो इंसानियत को प्रभावित करे। Bhagat Singh
इंसानों को तो मारा जा सकता है , पर उनके विचारों को नहीं। Bhagat Singh
बीस साल की उम्र में इंसान , अपनी इच्छा से चलता है , तीस में बुद्धि से और चालीस , में अपने अनुमान से।