कबूतर कितना भी तेज़ उड़े, शेर के पंजे से कभी बचकर, नहीं जा सकता | Ertugrul Ghazi
टीचर – बेटा कबूतर (Kabutar), पर एक वाक्य बनाओ, स्टूडेंट – शाम को पी हुई दारु साली, Kab Utar जाती है पता ही नहीं चलता, टीचर अभी तक बेहोश है |