क्रोध में भी शब्दों का चुनाव ऐसे कीजिए कि जब गुस्सा उतरे तो खुद की नजरों में शर्मिंदा ना होना पड़े।
कोई चुनाव मत करिए जीवन, को ऐसे अपनाइए जैसे, वो अपनी समग्रता में है | OSHO