अपने कल के रिकॉर्ड को आज तोड़ दूंगा | Dr. Vivek Bindra
चलो अब मिल जाए सब पहरे तोड़कर आओ कहीं दूर चले, यह शहर छोड़ कर।
पापा आप मेरा वो गुरूर है, जो कोई भी कभी भी, नहीं तोड़ सकता |
पगली तू, गुलाब के फूल जैसी है, जिसे में, तोड़ भी नही सकता और, छोड़ भी नही सकता |