तक़दीर

तक़दीर

मेरे इरादे मेरी तक़दीर बदलने,
को काफी हैं, 
मेरी किस्मत मेरी लकीरों की,
मोहताज़ नहीं।

तक़दीर

तक़दीर

अपनी तक़दीर जगाते है तेरे मातम से
खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से
अपने इज़हार-ए-अक़ीदत का सिलसिला ये है
हम नया साल मनाते है तेरे मातम से