हैँ समाज का नियम भी ऐसा पिता सदा गम्भीर रहे, मन मे भाव छुपे हो लाखोँ आँखो से न नीर बहे, करे बात भी रुखी-सूखी बोले बस बोल हिदायत के, दिल मे प्यार है माँ जैसा ही किंतु अलग तस्वीर रहे |