बंदे हैं हम देश के हम, पर किसका ज़ोर, मकर संक्रांति में उड़े, पतंगें चारों ओर, अपना मांझा खुद, सूतने आज हम, चले छत की ओर, हैप्पी मकर सक्रांति |