कला

कला

सबसे बड़ी कला है
मन को प्रभु में
लगाना |

बेवजह

बेवजह

कभी प्रभु का नाम जपते जपते
बेवजह आँखों में आँसूं
आ जाए तो समझ लेना
सन्देश पहुँच गया |

प्रभुमंदिर

प्रभुमंदिर

जहाँ देह है वहाँ कर्म तो है ही ,
उससे कोई मुक्त नहीं है |
तथापि शरीर को प्रभुमंदिर बनाकर
उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करनी चाहिए |

Mahatma Gandhi

गुरु ज्ञान

गुरु ज्ञान

गुरु ज्ञान का वो खज़ाना है ,
जिसके ख़ज़ाने से ,
सत्य , वैराग ,त्याग ,सम्मान ,
आत्मविश्वास ओर प्रभु शरण
रूपी रत्न मिलते है ,
सदेव ऐसे ख़ज़ाने को संभाल
कर रखना चाहिए |

वाणी

वाणी

गुरु जो सत्यार्थ कराये मान लेना ,
गुरु की वाणी उस प्रभु के ,
आदेश से प्रेरित होती है ,
जो समस्त सत्यार्थ के स्वामी है |