सबसे बड़ी कला है मन को प्रभु में लगाना |
कभी प्रभु का नाम जपते जपते बेवजह आँखों में आँसूं आ जाए तो समझ लेना सन्देश पहुँच गया |
जहाँ देह है वहाँ कर्म तो है ही , उससे कोई मुक्त नहीं है | तथापि शरीर को प्रभुमंदिर बनाकर उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करनी चाहिए | Mahatma Gandhi
गुरु ज्ञान का वो खज़ाना है , जिसके ख़ज़ाने से , सत्य , वैराग ,त्याग ,सम्मान , आत्मविश्वास ओर प्रभु शरण रूपी रत्न मिलते है , सदेव ऐसे ख़ज़ाने को संभाल कर रखना चाहिए |
गुरु जो सत्यार्थ कराये मान लेना , गुरु की वाणी उस प्रभु के , आदेश से प्रेरित होती है , जो समस्त सत्यार्थ के स्वामी है |