जहाँ देह है वहाँ कर्म तो है ही , उससे कोई मुक्त नहीं है | तथापि शरीर को प्रभुमंदिर बनाकर उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करनी चाहिए | Mahatma Gandhi
गुरु के चरणों की धूल जो मिल जाये , पावन ये तन मन हो जाये , लगा के धूल गुरु चरणों की , मुक्ति ये शरीर पा जाए |