गुनाह

गुनाह

क्या गुनाह हैं इन बाँहों का जो इनको
इतना तड़पा रहे हों ,
इश्क तो कमबख्त इस दिल ने किया था ,
फिर दिल की सज़ा इन बाँहों को
क्यूँ दिये जा रहे हों |

तन्हा दिल यूँ मजबूर ना होता

तन्हा दिल यूँ मजबूर ना होता

'दीपक में अगर नूर ना होता,
तन्हा दिल यूँ मजबूर ना होता,
मैं आपको ईद मुबारक कहने जरूर आता,
अगर आपका घर इतना दूर ना होता,
ईद मुबारक |'