व्यवहार घर का शुभ कलश है, और इंसानियत घर की तिजोरी, मधुर वाणी घर की दौलत है, और शांति घर की महालक्ष्मी |
ना जियो धर्म के नाम पर, नाम मरो धर्म के नाम पर, इंसानियत ही है, धर्म वतन का, बस जिओ वतन के नाम पर |
मैं एक इंसान हूँ। वो हर बात मुझे प्रभावित करती है , जो इंसानियत को प्रभावित करे। Bhagat Singh