चप्पू : यार मेरे बाल बहुत झड़ रहे हैं। पप्पू : क्यों? चप्पू: चिंता से यार पप्पू: किस बात की चिंता है यार तुझे? चप्पू: बाल झड़ने की।
एक बहुत पुरानी कहावत है, की भगवान उन्ही की सहायता, करता है जो अपनी सहायता, स्वयं करते हैं।
जब थे दिन बचपन के, वो थे बहुत सुहाने पल, उदासी से न था नाता, गुस्सा तो कभी न था आता, हैप्पी बाल दिवस |
अचकन में फूल लगाते थे, हमेशा ही मुस्कुराते थे, बच्चों से प्यार जताते थे, चाचा नेहरू प्यारे थे |
आज का दिन है बच्चों का, कोमल मन का और कच्ची कलियों का, मन के सच्चे ये प्यारे बच्चे, चाचा नेहरु को हैं प्यारे बच्चे, हैप्पी बाल दिवस |
बचपन में सबसे अधिक पूछा, गया एक सवाल, बड़े होकर क्या बनना है, अब जाकर जवाब मिला कि, फिर से बच्चा बनना है, बाल दिवस की बधाई |
बचपन के दिन भुला ना देना, आज हंसे कल रुला ना देना, इचक दाना -पिचक दाना दाने उपर दाना, कितना प्यारा था बचपन मस्ताना |
चाचा जी के हम है बच्चे प्यारे, माँ-बाप के राज दुलारे, आ गया है चाचा जी का जन्मदिवस, आओ मिलकर मनाये बाल दिवस, बाल दिवस की शुभकामनाएं |
बचपन है ऐसा खजाना, आता है न जो दोबारा, मुश्किल है इसको भुलाना, वो खेलना कूदना और खाना, मौज मस्ती में बलखाना |
खबर ना होती कुछ सुबह की, ना कोई शाम का ठिकाना था, थके हार कर आना स्कूल से, पर खेलने तो जरूर जाना था |
हम है इस भारत के बच्चे, हम नहीं है अकल के कच्चे, हम आसू नहीं बहाते है, क्योकि हम है सीधे सरल, और सच्चे |
बच्चों दुनिया के सबसे मूल्यवान, संसाधन होते है और ये, आने वाले कल के लिए एक, सर्वश्रेष्ठ आशा होती है |
सभी दोस्तो से एक request है, कि ठंड मे मत पियो वरना कही पी के कही, पड़े रह गये तो, लोग होश मे लाने के लिए, एक बालटी पानी डाल के, नहला देगे भाई | happy winter
मानव स्वभाव ही ऐसा है, कि हम बिना उत्सवों, के नहीं रह सकते, उत्सव प्रिय होना, मानव स्वभाव है, हमारे त्यौहार होने, ही चाहियें। Bal Gangadhar Tilak
अगर आप रुके और हर भौंकने, वाले कुत्ते पर पत्थर फेंकेंगे, तो आप कभी अपने गंतव्य, तक नहीं पहुंचेंगे बेहतर होगा, कि हाथ में बिस्कुट रखें, और आगे बढ़ते जायें।
जीवन एक ताश के खेल की तरह है, सही पत्तों का चयन, हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन हमारी सफलता निर्धारित, करने वाले पत्ते खेलना हाथ में है। Bal Gangadhar Tilak
ईश्वर की यही इच्छा हो सकती है, कि मैं जिस उद्देश्य का, प्रतिनिधित्व करता हूँ, वो मेरे आजादी में रहने से ज्यादा, मेरी पीड़ा में अधिक समृद्धि हो। Bal Gangadhar Tilak
भारत की गरीबी पूरी, तरह से वर्तमान, शासन की वजह, से है।
ये सच है, कि बारिश की कमी के, कारण अकाल पड़ता है, लेकिन ये भी सच है, कि भारत के लोगों में, इस बुराई से लड़ने की, शक्ति नहीं है। Bal Gangadhar Tilak
महान उपलब्धियाँ कभी भी, आसानी से नहीं मिलतीं, और आसानी से मिली, उपलब्धियाँ महान नहीं होतीं। Bal Gangadhar Tilak
एक अच्छे अखबार, के शब्द अपने आप, बोल देते हैं। Bal Gangadhar Tilak
स्वराज मेरा जन्मसिद्ध, अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूँगा । Bal Gangadhar Tilak