तरक़ीब

तरक़ीब

कुछ उदास उदास से लगते हो ,
कोई तरक़ीब बताओ मनाने की ,
मैं मरके भी कीमत चुकाऊंगा ,
तुम कीमत बताओ मुस्कुराने की |


अब तो बर्दास्त नहीं होती

अब तो बर्दास्त नहीं होती

ना मुस्कुराने को जी चाहता हैं,
ना कुछ खाने और पीने को जी चाहता हैं..
ये  गर्मी अब तो बर्दास्त नहीं होती,
बस अब तो AC लाने को जी चाहता हैं I
Happy Summer