माँ की कहानी थी परियों का फ़साना था, बारिश में कागज़ की नाव थी हर मोसम सुहाना था, हर खेल में साथी थे हर रिश्ता निभाना था, गम की जुबान न होती थी ना ज़ख्मों का पैमाना था |