आईने,

आईने,

आज आईने के सामने खड़े हो,
कर खुद से माफ़ी माफ़ी ली मैंने,
सब से ज्यादा खुद का ही दिल,
दुखाया है दूसरों को खुश करने में।

लाजवाब जीना

लाजवाब जीना

आईने का जीना भी लाजवाब हैं
जिसमे स्वागत सबका है लेकिन संग्रह किसी का नहीं।
सुप्रभात