साँसों,

साँसों,

मिलना तो हम तब भी चाहेंगे,
तुझसे जब तेरे पास वक्त,
और हमारे पास साँसों,
की कमी होगी |

परवाह नहीं चाहे,

परवाह नहीं चाहे,

परवाह नहीं चाहे,
जमाना कितना,
भी खिलाफ हो,
चलूँगा उसी राह पर जो,
सीधी और साफ हो |
“शुभ प्रभात”