
अल्फ़ाज़
दोस्तो से,
दोस्ती रखा,
करो तबियत,
मस्त रहेगी,
ये वो हक़ीम हैं,
जो अल्फ़ाज़ से,
दुरुस्त किया,
करते हैं।

अनमोल
रिश्तों से बड़ी जरुरत क्या होगी,
दोस्ती से बड़ी इबादत क्या होगी,
जिसे दोस्त मिल जाये तुम जैसा अनमोल,
ज़िन्दगी से उसे और शिकायत क्या होगी।

सच्चाई
हक़ीकत मोहब्बत की जुदाई होती है,
कभी-कभी प्यार में बेवफाई होती है,
हमारे तरफ हाथ बढ़ाकर तो देखो,
दोस्ती में कितनी सच्चाई होती है।

महसूस
सारे दोस्त एक जैसे नहीं,
होते कुछ हमारे होकर भी,
हमारे नहीं होते,
आपसे दोस्ती करने के,
बाद महसूस हुआ,
कौन कहता है,
'तारे ज़मी पर' नहीं होते।