उन आँखों की दो बूंदों, से सातों सागर हारे हैं, जब मेहँदी वाले हाथों, ने मंगल-सूत्र उतारे हैं |
मेरे लाडले मेरे गणपति प्यारे तुम शिव बाबा की आँखों के तारे मेरी आँखों में तेरी सूंदर, मूरत सूरज की किरणों जैसे, चमके तेरी प्यारी सूरत |