आँखों

आँखों

उन आँखों की दो बूंदों,
से सातों सागर हारे हैं,
जब मेहँदी वाले हाथों,
ने मंगल-सूत्र उतारे हैं |

किरणों

किरणों

मेरे लाडले मेरे गणपति प्यारे
तुम शिव बाबा की आँखों के तारे
मेरी आँखों में तेरी सूंदर,
मूरत सूरज की किरणों जैसे,
चमके तेरी प्यारी सूरत |