गुनाह

गुनाह

क्या गुनाह हैं इन बाँहों का जो इनको
इतना तड़पा रहे हों ,
इश्क तो कमबख्त इस दिल ने किया था ,
फिर दिल की सज़ा इन बाँहों को
क्यूँ दिये जा रहे हों |