हमारे सर पर से कभी, हाथ ना हटाना , कुछ गलत करूँ तो , सज़ा लगाना , पर है करुणा निधान , कभी अपने से अलग ना करना |
क्या गुनाह हैं इन बाँहों का जो इनको इतना तड़पा रहे हों , इश्क तो कमबख्त इस दिल ने किया था , फिर दिल की सज़ा इन बाँहों को क्यूँ दिये जा रहे हों |